रहीम के दोहे

रहीम के दोहे

रहीम

छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥1॥
अर्थ: बड़ों को क्षमा शोभा देती है और छोटों को उत्पात (बदमाशी)। अर्थात अगर छोटे बदमाशी करें कोई बड़ी बात नहीं और बड़ों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिए। छोटे अगर उत्पात मचाएं तो उनका उत्पात भी छोटा ही होता है। जैसे यदि कोई कीड़ा (भृगु) अगर लात मारे भी तो उससे कोई हानि नहीं होती।

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥2॥
अर्थ: वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीती है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को संचित करते हैं।

दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥3॥
अर्थ: दुख में सभी लोग याद करते हैं, सुख में कोई नहीं। यदि सुख में भी याद करते तो दुख होता ही नहीं।

खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥4॥
अर्थ: दुनिया जानती है कि खैर (अर्थात पान में लगाया जाने वाला कत्था), खून, खांसी, खुशी, दुश्मनी, प्रेम और मदिरा का नशा छुपाए नहीं छुपता है।

जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥5॥
अर्थ: ओछे लोग जब प्रगति करते हैं तो बहुत ही इतराते हैं। वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में जब प्यादा फरजी बन जाता है तो वह टेढ़ी चाल चलने लगता है।

बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥6॥
अर्थ: जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख कोशिश करने पर भी बनती नहीं है। उसी तरह जैसे कि दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता।

आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥7॥
अर्थ: ज्यों ही कोई किसी से कुछ मांगता है त्यों ही आबरू, आदर और आंख से प्रेम चला जाता है।

खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय।
रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥8॥
अर्थ: खीरे को सिर से काटना चाहिए और उस पर नमक लगाना चाहिए। यदि किसी के मुंह से कटु वाणी निकले तो उसे भी यही सजा होनी चाहिए।

चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥9॥
अर्थ: जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं के राजा हैं। क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिंता और मन तो बिल्कुल बेपरवाह है।

जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥10॥
अर्थ: जो गरीब का हित करते हैं वो बड़े लोग होते हैं। जैसे सुदामा कहते हैं कृष्ण की दोस्ती भी एक साधना है।

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥11॥
अर्थ: दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।

रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥12॥
अर्थ: बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता। जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती।

बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥13॥
अर्थ: जब ओछे ध्येय के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था|

माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।
फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥14॥
अर्थ: माली को आते देखकर कलियां कहती हैं कि आज तो उसने फूल चुन लिया पर कल को हमारी भी बारी भी आएगी क्योंकि कल हम भी खिलकर फूल हो जाएंगे।

एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥15॥
अर्थ: एक को साधने से सब सधते हैं। सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है। वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग-अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है।

रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥16॥
अर्थ: जो व्यक्ति किसी से कुछ मांगने के लिए जाता है वो तो मरे हुए हैं ही परन्तु उससे पहले ही वे लोग मर जाते हैं जिनके मुंह से कुछ भी नहीं निकलता है।

रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥17॥
अर्थ: कुछ दिन रहने वाली विपदा अच्छी होती है। क्योंकि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥18॥
अर्थ: बड़े होने का यह मतलब नहीं है कि उससे किसी का भला हो। जैसे खजूर का पेड़ तो बहुत बड़ा होता है परन्तु उसका फल इतना दूर होता है कि तोड़ना मुश्किल का काम है।

रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥19॥
अर्थ: अपने दुख को अपने मन में ही रखनी चाहिए। दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दुख को कोई बांटता नहीं है।

रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥20॥
अर्थ: जब बुरे दिन आए हों तो चुप ही बैठना चाहिए, क्योंकि जब अच्छे दिन आते हैं तब बात बनते देर नहीं लगती।

बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥21॥
अर्थ: अपने मन से अहंकार को निकालकर ऐसी बात करनी चाहिए जिसे सुनकर दूसरों को खुशी हो और खुद भी खुश हों।

मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥22॥
अर्थ: मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं परन्तु यदि एक बार वे फट जाएं तो करोड़ों उपाय कर लो वे फिर वापस अपने सहज रूप में नहीं आते।

दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं।
जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥23॥

रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥24॥
अर्थ: कम दिमाग के व्यक्तियों से ना तो प्रीती और ना ही दुश्मनी अच्छी होती है। जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों को विपरीत नहीं माना जाता है।

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥25॥
अर्थ: प्रेम के धागे को कभी तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि यह यदि एक बार टूट जाता है तो फिर दुबारा नहीं जुड़ता है और यदि जुड़ता भी है तो गांठ तो पड़ ही जाती है।

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥26॥
अर्थ: इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है।

वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥27॥
अर्थ: वे पुरुष धन्य हैं जो दूसरों का उपकार करते हैं। उनपे रंग उसी तरह उकर आता है जैसे कि मेंहदी बांटने वाले को अलग से रंग लगाने की जरूरत नहीं होती।

65 responses

  1. rahim sahab ki durdrishti gajab ki thi.us samay jab bharat ki aabadi kam thi aur jalsansadhan bahut tha us samay unhone pani ke mahatwa ko bataya. wah aaj charitarth ho rahi hai”rahuiman pani rakhiyo bin pani sab sun…..”

    1. छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
      कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥1॥

      इस दोहे में भृगु और विष्णु की कहानी को relate किया गया है ना की भ्रगु का मतलब कीड़ा है | इसे ज़रा सही करे

    2. खैर का अर्थ ख़ैरियत न होकर पान है। खैर मतलब कत्था

    1. Hi Sanchit,
      I know there are some words in which are archaic. Will try to add meaning into it soon.

  2. रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
    हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥17॥
    guru kumaher sip

  3. रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
    हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥17॥
    guru kumaher sip ka arth

  4. Hello friends,
    Finally I got some time to add some meaning. This is not very comprehensive, but the crux of the couplets have been given here. You can also deduce the meaning of the difficult words here.
    cheers!

  5. Doha 13-
    बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
    ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥13॥

    इसका अर्थ गलत दिया गया है – बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय अर्थार्त बड़े लोग अगर छोटे काम करेंगे तो बड़ाई नहीं होगी| ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय अर्थार्त जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृषण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था|

    Doha 26 –
    रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
    पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥26॥

    चून का अर्थ होता है आटा

    कृपया इसका अर्थ ठीक करे चून का अर्थ होता है आटा न की चूना

    Conserve water, without water there is no life. Water plays an important part in making of a pearl, a human and dough.

    1. त्रुटि सुधार की ओर ध्यान दिलाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद पीयूषजी! मैने दोहा 13 और 26 के अर्थों का सुधार आपके कहे अनुसार कर दिया है।

      1. yahan pani kin teen aartho mein aaya hai?

      2. तीसरे अर्थ को भी शामिल कर लिया गया है। उपर देखें।

      3. yahan pani shabd kin teen aartho mein aaya hai?

      4. mere khayal se chun ka arth chuna hi hai kyonki bina pani ke chunaka upyog nahi hota.

  6. MEANING SHOULD BE IMPROVED BUT ITS GOOD FOR MY AGE 🙂

  7. i m nihar i live in gujrat , ahmedabad im gujrati kem cho badha i love hindi also 😛 🙂 =D and i know french like jemappelle nihar bonjour and english hi bye ttata

  8. छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
    कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥1॥
    अर्थ: बड़ों को क्षमा शोभा देती है और छोटों को उत्पात (बदमाशी)। अर्थात अगर छोटे बदमाशी करें कोई बड़ी बात नहीं और बड़ों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिए। बड़ों का फ़र्ज़ है छतों को माफ कर देना । जिस प्रकार ऋषि भृगु ने श्री हरी (विष्णु) की छाती पर लात मारी थी इसमें श्री हरी का तो कुछ भी नहीं बिगाड़ा और ऋषि भृगु को अपनी गलती का अहसास होने पर श्री हरी ने उन्हें क्षमा कर दिया था |

  9. awesome
    bahut acchha hai maza aa gaya inhe pad ke
    kal ke programme me to bahut acche dohe bol paaungi

  10. meanings should be more nice but it is of my age only

  11. तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
    कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥2॥
    2nd doha Meaning- jis prakar phal dene wale vriksh apne phlon ka upyog swayam nah ikarte aur talab bhi apna paani khud nahi peete balki ye dusron ki bhalayi ke liye hota hai isi tarah sajjan purush bhi apne sanchit punji ka upyog dusron ki bhalyi ke liye karte hain.

  12. Rahim das ji bahut achche aur nek kavi tatha sant the ushi tarah unke dohe bhi bahut achche aur dil ko chu jaane wale hain main bahut khush hoon ki aaj bhi log unke dohe padhte hain.

  13. rahim ji ke dohe bahut aache he aur enka koi matlab bi he hme enko padkar apni life sudharni chaiye

  14. This dohe is so good. It has a meaningful sentences. We have to prove that we also read this rahim ji dohe. I hope you all like this rahim ji dohe

  15. तनिक कंकरी के पड़े नैन होत बेचैन ,
    रहिमन वे कैसे जिये जिन नयनन में नैन.

  16. greeb ki kudrat bhi sahauta nahin karti. jese Sube shayak subal ke kaoo na nible shay,pawan jravat aag ko deepi det bojay. sub amir ke hote hain greeb ka koe nahin hota. jese tej hva Deepak ko boja jati hai,or agan koteji se jlaa jati hai.dohon kaa khub maja aya.

  17. dohon kaa arth aaj ke dour main bahut hai .sada ache vichar rakhne chahiye.

  18. I liked all of them,
    any poem or doha of rahim gives a inspirational, hopeful steps to our life…………….

  19. i am not satisfied with these short meanings
    give a full remark plz…………
    it will be helpfullllllllll.,.,.,………..

  20. rahim ke dohe ke meaning acche he ae hamare life me bahut kam aayyega

  21. frnds can u help me complete this doha..—-rahiman is sansar me bhanti bhanti ke log……………..

    1. I think it belongs to Tulsi and not Rahim. Some people distort this doha and attribute it to Rahim.
      तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग।
      सबसे हंस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥

  22. Inspirational dohe, ashcharya hai unki samajik pakad par Jo aj bhi prasangik hai.

  23. Can u pls give the meaning of
    Kadli seep bhujang mukh, swati ek gun teen
    Jaisi sangati betiye, tasoi phal deen….

    1. आदमी जैसी संगती करता है उसका स्वभाव भी वैसा ही हो जाता है जैसै, स्वाती नक्षत्र मे बारीश की बूंद सीप मे गिर कर मोती तथा नाग के मुख मे गिर कर विष बन जाती है

  24. give the meaning of –
    deeragh doha arath ke, aakhar thore aahin
    jyo rahim nat kundli, simiti kudi chadhi jaahin.
    please explain this ASAP

  25. This site is changing from wordpress to a new site where I will be maintaining it in a better way. Please see the meaning on the new site at the following link:

    रहीम के दोहे

  26. कर ले सूंघि सराहि के, सबै रहे गहि मौन I …………………………….., गवई गाहक कौन what इस missing part which is shown as dotted lines?

  27. बहुत ही सुंदर एवं अत्यंत स्तुत्य उपक्रम है यह।मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। और भविष्य के लिए शुभ कामनाएँ देता हूँ।

  28. बहुत ही सुंदर एवं अत्यंत स्तुत्य उपक्रम है यह।मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। और भविष्य के लिए शुभ कामनाएँ देता हूँ।

  29. रहिमन निज मन की व्रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
    सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥19॥
    अर्थ: अपने दुख को अपने मन में ही रखनी चाहिए। दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दुख को कोई बांटता है।

    You have missed NAHI word in last line. it should be “परन्तु दुख को कोई बांटता नहीं है।

  30. साइट बहुत अच्छी है।

  31. There was a dohe in which rahim said ghar ki nari ko to chhor do tan ki nari bhivsaath nahi deta. Koi mujhe pura Doha bata sakta hai.

  32. can anyone pls tell the meaning of this Doha:

    NAAD REEJH TAN DET MRAG, NAR DHAN HEET SAMET
    TE RAHIM PASHU SE ADHIK, REEJHEHO KACHOO NA DET

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