तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो

कैफ़ी आज़मी

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो

आँखों में नमी हँसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो

बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो

जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो

रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो

हम हिन्दी भाषी

हम हिन्दी भाषी ब्लाग की शुरूआत इस उद्देश्य से किया गया हॆ कि हिन्दी भाषा में होने वाली कंम्प्यूटर आधारित कार्यों के संबंध में नवीनतम जानकारी को हिन्दी भाषीयों व संबंधित व्यक्तियों तक पहुंचाया जा सके ।
खास तॊर पर हिन्दी संगणकीय भाषाविज्ञान में होने वाली नई खोजों पर विशेष नजर रहेगी।